...

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बार बार
इज़हार की बारीकियों में न जा
ये वो खाता थी जो हो गई
और बार बार होगी
इंतजार को नजदीकियों से सजा
तेरी रज़ा अगर जो हो गई
तो बार बार होगी
सिलसिलेवार कत्ल ना फरमा
इक जिंदगी तो खो गई
क्या बार बार खोगी
बेशुमार हुस्न और किल्लत ए परवाह
अभी यहीं कजा हो गई
अब बार बार होगी
© Mahamegh