15 views
बागी कलम
बागी कलम
रजनी सजनी गा सकता मैं
रति का कर सकता सृंगार
शब्द वान से छू लूं जिसको
कली वो बन जाये कचनार
जीवन के हर रंग भूल के
वह प्रेम रंग अपनाएगी
नस नस में घोलूँ प्रेम सोम
जोगन सा उसे नचाएगी
पर हाय कलम ये बागी है
बस प्रेम प्रेम स्वीकार नही
त्यज दे जीवन जो सभी लक्ष्य
है उत्तम मानव व्यवहार नही
यह मेरी कलम है शेष अभी
हर रंग उकेरी जाएगी
बस प्रेम पिपासा में डुबों को
दायित्व भान करवाएगी
© eternal voice नाद ब्रह्म
रजनी सजनी गा सकता मैं
रति का कर सकता सृंगार
शब्द वान से छू लूं जिसको
कली वो बन जाये कचनार
जीवन के हर रंग भूल के
वह प्रेम रंग अपनाएगी
नस नस में घोलूँ प्रेम सोम
जोगन सा उसे नचाएगी
पर हाय कलम ये बागी है
बस प्रेम प्रेम स्वीकार नही
त्यज दे जीवन जो सभी लक्ष्य
है उत्तम मानव व्यवहार नही
यह मेरी कलम है शेष अभी
हर रंग उकेरी जाएगी
बस प्रेम पिपासा में डुबों को
दायित्व भान करवाएगी
© eternal voice नाद ब्रह्म
Related Stories
13 Likes
3
Comments
13 Likes
3
Comments