...

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बागी कलम
बागी कलम
रजनी सजनी गा सकता मैं
रति का कर सकता सृंगार
शब्द वान से छू लूं जिसको
कली वो बन जाये कचनार

जीवन के हर रंग भूल के
वह प्रेम रंग अपनाएगी
नस नस में घोलूँ...