...

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सुलगती हुई तप्ती भट्टी पर हाथ रखकर
सुलगती हुई तप्ती भट्टी पर हाथ रखकर
हाथ जलाना है संदीप
आज अगर गलत कीए कल पकड़े गए तो
किस मुंह से मुंह दिखाना होगा संदीप
यह दरमियां है दुनिया की झुठी फ्रेब में चलने की
राहों पर हर वक्त सच बोल कर कितना आगे जाना है संदीप
सुलगती हुई तप्ती भट्टी ,,,,,,

एक जुबान पर कायम रहते हैं कम लोग
जुबान देकर जुबान से पीछे हटना है क्या संदीप
सांपों की तरह सपोले हो गए हैं लोग
इनकी फन से बच कर निकल जाना है संदीप
इतर बितर छिप-छिप कर वार करते हैं कुछ लोग
इनके निगाहों से बच कर निकल जाना है संदीप
जमाना पहले जैसा नहीं रहा बहुत बदल गया है
किसी के साथ चलने से पहले उसको जान लेना है संदीप
सुलगती हुई तप्ती भट्टी ,,,,,,

देखना है मुश्किल राहों कि...