खामोश मोहब्बत
ना मैं उसकी मुस्कुराने की वजह हूं
ना उसके आंसुओं का हक,
पर वह कहते हैं कि मैं उसके
जज्बातों का सबब आज भी हूं,
ना भीड़ में मेरी तलाश उसे
ना अकेले में कोई ख्वाहिश
पर वह कहता है कोई नहीं जानता
उसके करीब उतनी अजीज में आज भी हूं
ना मुझे पाने का उसे जुनून कोई
ना मुझे खोने का डर,
पर वह कहता है...
ना उसके आंसुओं का हक,
पर वह कहते हैं कि मैं उसके
जज्बातों का सबब आज भी हूं,
ना भीड़ में मेरी तलाश उसे
ना अकेले में कोई ख्वाहिश
पर वह कहता है कोई नहीं जानता
उसके करीब उतनी अजीज में आज भी हूं
ना मुझे पाने का उसे जुनून कोई
ना मुझे खोने का डर,
पर वह कहता है...