!...बस कहीं खो जा...!
दाग ए दिल के लिए फिरता है मजनू सहरा में
लताद जर्रो में फसाने तेरे आबाद रहे
कातिल ए जान से गुरेज मैं रखता नही
वो भी बंदा है खुदा का, नाराज कैसे रहें
खामोश है ये कोह ओ चमन दरिया साहिल
चांद तारे है खामोश, ए दिल खामोश तू हो जा
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लताद जर्रो में फसाने तेरे आबाद रहे
कातिल ए जान से गुरेज मैं रखता नही
वो भी बंदा है खुदा का, नाराज कैसे रहें
खामोश है ये कोह ओ चमन दरिया साहिल
चांद तारे है खामोश, ए दिल खामोश तू हो जा
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