बताने दो!
उसको मेरी गुफ्तुगू का अन्दाज़ बताने दो,
वो भी अपना ही तो है हर राज़ बताने दो!
कांटों से ज़ख्म खाना कोई नई बात नहीं,
जो फूलों से ज़ख्म खाये हैं वो बात बताने दो!
इतनी भी सहल नहीं ज़िन्दगी जितनी...
वो भी अपना ही तो है हर राज़ बताने दो!
कांटों से ज़ख्म खाना कोई नई बात नहीं,
जो फूलों से ज़ख्म खाये हैं वो बात बताने दो!
इतनी भी सहल नहीं ज़िन्दगी जितनी...