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रिदा
झूठ की रिदा ओढ़े बैठे हैं सब
हकीकत से मुँह फेरे बैठे हैं सब।
ज़ुबान को सिये बैठे हैं सब
आँखों पर पट्टी लगाए बैठे हैं सब।
भरा पड़ा है जफ़ा-कारों से ये अर्ज़
जो ढाते हैं मज़लूमों पर सितम हर वक़्त।
फ़लक तक गूँजती चीखों के बीच हर रोज़
ओढ़ के रिदा बर्फ की दिल पे बैठे हैं हम खुदगर्ज़।
© Maneet Saluja
हकीकत से मुँह फेरे बैठे हैं सब।
ज़ुबान को सिये बैठे हैं सब
आँखों पर पट्टी लगाए बैठे हैं सब।
भरा पड़ा है जफ़ा-कारों से ये अर्ज़
जो ढाते हैं मज़लूमों पर सितम हर वक़्त।
फ़लक तक गूँजती चीखों के बीच हर रोज़
ओढ़ के रिदा बर्फ की दिल पे बैठे हैं हम खुदगर्ज़।
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