शबनमी एहसास है वो......
उसदिन सुबह ही आकर उसने
छेड दिया प्रेम का तराना
वही याराना..
वही अफसाना...
जाना पहचाना...
भोर हो रही थी समय तो था उठने का, पर
आकर उसने जकड लिया ,हाथो को
अपने हाथो मे पकड लिया
हथेली के बीच होठों को रख दिया
मेरी उंगलियो के अतिरिक्त लाईन को
लबों से छू लिया.. ।
जाग उठे ख्वाब वही
दे गयी पैगाम वही,
चेहरे पे मेरे
अपने गेसूओं को बिखेर दिया ।
लगा यूँ मुझे जैसे
बहारों को निमंत्रण दिया ।।
आवरण सब हट...
छेड दिया प्रेम का तराना
वही याराना..
वही अफसाना...
जाना पहचाना...
भोर हो रही थी समय तो था उठने का, पर
आकर उसने जकड लिया ,हाथो को
अपने हाथो मे पकड लिया
हथेली के बीच होठों को रख दिया
मेरी उंगलियो के अतिरिक्त लाईन को
लबों से छू लिया.. ।
जाग उठे ख्वाब वही
दे गयी पैगाम वही,
चेहरे पे मेरे
अपने गेसूओं को बिखेर दिया ।
लगा यूँ मुझे जैसे
बहारों को निमंत्रण दिया ।।
आवरण सब हट...