...

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कश्तियां बदल जाने से.. 🛶
कश्तियां बदल लेने से,
किनारे नहीं बदल जाते ,
रास्ते बदल जाने से,
न ही मंजिल बदल जाती है,
जब उतरे हैं तूफ़ाँ में समंदर के,
विश्वास नहीं डगमगाते,
लहरों के रास्ता बदल लेने से,
अरे, सच ही तो है...
बदलाव की इन लहरों में,
मिलता है साहिल तो केवल,
उम्मीद की पतवार से कश्ती खेने से...





© Jyoti Kanaujiya