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देश के कर्णधार
देश की शान हो, ऋषियों की सन्तानहो,
पहचानो अपनी शक्ति को, इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को,इतने क्यों लाचार हो ।

सुख का भंडार हो, शक्ति का आगार हो ,
देश के कर्णधार हो, पहचानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को, इतने क्यों लाचार हो ।

सूर्य के समान हो , मशाल की ज्वाल हो,
शेर की दहाड़ हो, पहचानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
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