...

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देश के कर्णधार
देश की शान हो, ऋषियों की सन्तानहो,
पहचानो अपनी शक्ति को, इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को,इतने क्यों लाचार हो ।

सुख का भंडार हो, शक्ति का आगार हो ,
देश के कर्णधार हो, पहचानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को, इतने क्यों लाचार हो ।

सूर्य के समान हो , मशाल की ज्वाल हो,
शेर की दहाड़ हो, पहचानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।

दृढ़ इच्छा-शक्ति हो, राम-कृष्ण के समान हो,
झुका सकते असमान हो, पहचानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
पहचानो जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।

सूर्य अक्षय ताप हो, अटल दृढ़ संकल्प हो,
अनंत अजस्र स्रोत हो, पहचानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।

भाग्य के निर्माण हो, तुम संस्कारवान हो |
नैतिक, विचारवान हो, पहचानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।


शक्तियाँ असीम हैं, इनका अक्षय भंडार हो ,
सामर्थ्य में अपरंपार हो,पहचानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।
जानो अपनी शक्ति को इतने क्यों लाचार हो ।