आओ मिलकर इसे हराते हैं! 💝
कभी सोचा न था, कि एसा भी वक्त आएगा
रुक जाएगी ये धरती, और ये आसमा कांप जाएगा।
यू तो ढलेगा दिन पर वक्त चलते चलते ही थम जाएगा,
कभी सोचा न था, कि एसा भी वक्त आएगा।।
ना खाने का ठिकाना, ना रहने का सार
बिक रही हैं साँसे, यू खिलौनों के समान
क्यूँ एसा सन्नाटा की बंद हो गए सभी स्कूल और मकान,
क्यूँ मज़बूर न होकर भी,यू मजबूर है...
रुक जाएगी ये धरती, और ये आसमा कांप जाएगा।
यू तो ढलेगा दिन पर वक्त चलते चलते ही थम जाएगा,
कभी सोचा न था, कि एसा भी वक्त आएगा।।
ना खाने का ठिकाना, ना रहने का सार
बिक रही हैं साँसे, यू खिलौनों के समान
क्यूँ एसा सन्नाटा की बंद हो गए सभी स्कूल और मकान,
क्यूँ मज़बूर न होकर भी,यू मजबूर है...