दूब घास......
देखा होगा सबने कभी ना कभी,कहीं ना कहीं,जिद्दी हठी,दबी घास को,
लाखों बार काटो फिर भी उग आती है वो जरा सी मिट्टी और हवा पाते ही,
जीने का संकल्प उसका,आज तक क्या कोई कुचल पाया उसकी आस को।
वो बहुत साहसी है, सर्वोपरि है उसका हौंसला, मत ललकारना कभी उसे।
वो पर्वत श्रृंखलाओं की राजरानी है,समंदर में भी, विशाल धाराओं...
लाखों बार काटो फिर भी उग आती है वो जरा सी मिट्टी और हवा पाते ही,
जीने का संकल्प उसका,आज तक क्या कोई कुचल पाया उसकी आस को।
वो बहुत साहसी है, सर्वोपरि है उसका हौंसला, मत ललकारना कभी उसे।
वो पर्वत श्रृंखलाओं की राजरानी है,समंदर में भी, विशाल धाराओं...