मुमकिन तो नहीं था
मुमकिन तो नहीं था
शादी की चूड़ियां उतार,
बंदूक उठा लेना
आंखों की शरमाहट मिटा,
गुस्से की ज्वाला मन में जला लेना
मेरी धरती पर पैर रखा था
कुछ दुश्मन कायरों ने,
मौका नहीं था ये चूड़ियां पहन
सज संवर कर घर बैठ जाने का
जो...
शादी की चूड़ियां उतार,
बंदूक उठा लेना
आंखों की शरमाहट मिटा,
गुस्से की ज्वाला मन में जला लेना
मेरी धरती पर पैर रखा था
कुछ दुश्मन कायरों ने,
मौका नहीं था ये चूड़ियां पहन
सज संवर कर घर बैठ जाने का
जो...