वो परिंदा
सुनो... कोई तुम्हें चाहेगा
क्या मुमकिन है
तुम्हें ही चाहेगा...!
क्या वो तुमसे कुछ नहीं चाहेगा?
तुम लुटा दोगी.. वक़्त
अपनी मुहब्बते
और बढती रहेगी
दोनों तरफ़ हसरतें
बहोगे...
क्या मुमकिन है
तुम्हें ही चाहेगा...!
क्या वो तुमसे कुछ नहीं चाहेगा?
तुम लुटा दोगी.. वक़्त
अपनी मुहब्बते
और बढती रहेगी
दोनों तरफ़ हसरतें
बहोगे...