...

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बस में
आज मैं खुद में ही खो गई।

ना जाने आज रास्ता कैसे भूल गई,
आते जाते हर पल को मैं झूम गई
परछाई में पापा की,
और पद चिह्न में अपनी मां के जो छोड़ गई।
प्यार आज कुछ खुद पर ही आ गया,
पर ना जाने कैसे एक अंजानी डोर मुझे मुझसे मिला गई।

आज मैं खुद में ही खो गई।

किताबों की कहानियों का वह सफर,
बस अपने लफ्जों से जो...