बस में
आज मैं खुद में ही खो गई।
ना जाने आज रास्ता कैसे भूल गई,
आते जाते हर पल को मैं झूम गई
परछाई में पापा की,
और पद चिह्न में अपनी मां के जो छोड़ गई।
प्यार आज कुछ खुद पर ही आ गया,
पर ना जाने कैसे एक अंजानी डोर मुझे मुझसे मिला गई।
आज मैं खुद में ही खो गई।
किताबों की कहानियों का वह सफर,
बस अपने लफ्जों से जो बोल गई।
लिखने की आदत,
आज मुझे मुझसे ही जुड़ गई।
आज मैं खुद में ही खो गई।
सपनों की वो रातें
आज दिन में जो भर गई।
पल दो पल की सौगातें,
कोरोना में बंद जो हो गई।
बंद दरवाजों के दौर में,
दिल की खिड़की जो खुल गई।
आज मैं खुद में ही खो गई
यह कोरोना की हथकड़ी,
हमे हममें ही बंद जो कर गई ।
आज मैं खुद में ही खो गई।
वह यारों की गली जो गुम गई।
वह त्योहारों की रौनक चुप हो गई।
हाथों से हाथ ना मिला कर हाथ जो जोड़ गई।
आज मैं खुद में ही जो खो गई।
- Anjali Joshi
- quotes_lover1023
© quotes_lover1023
ना जाने आज रास्ता कैसे भूल गई,
आते जाते हर पल को मैं झूम गई
परछाई में पापा की,
और पद चिह्न में अपनी मां के जो छोड़ गई।
प्यार आज कुछ खुद पर ही आ गया,
पर ना जाने कैसे एक अंजानी डोर मुझे मुझसे मिला गई।
आज मैं खुद में ही खो गई।
किताबों की कहानियों का वह सफर,
बस अपने लफ्जों से जो बोल गई।
लिखने की आदत,
आज मुझे मुझसे ही जुड़ गई।
आज मैं खुद में ही खो गई।
सपनों की वो रातें
आज दिन में जो भर गई।
पल दो पल की सौगातें,
कोरोना में बंद जो हो गई।
बंद दरवाजों के दौर में,
दिल की खिड़की जो खुल गई।
आज मैं खुद में ही खो गई
यह कोरोना की हथकड़ी,
हमे हममें ही बंद जो कर गई ।
आज मैं खुद में ही खो गई।
वह यारों की गली जो गुम गई।
वह त्योहारों की रौनक चुप हो गई।
हाथों से हाथ ना मिला कर हाथ जो जोड़ गई।
आज मैं खुद में ही जो खो गई।
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