...

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रेत सी जिंदगी!
रेत सी जिंदगी
फिसलती जा रही,

रेत जैसे ख्वाब
मानो खिसकते जा रहे हो,

रेत सा वक्त
गुजरता जा रहा ,

कुछ रेत ही हो गई जिंदगी
बस अपने संग बहाए जा रही,

जैसे रेत को पकड़ कर रखना मुश्किल हैं
वैसे ही सपनो को पूरा करना ,

जैसे गीली रेत एक जगह सिमट जाती
वैसे ही जिंदगी भी रुक सी गई हैं,

जैसे गीली रेत को पकड़ कर रख सकते हैं
वैसे ही सपनो को भी नहीं छोड़ना हैं,

ये मौसम मिजाजी रेत
जिंदगी जैसी ही लगती हैं,

कुछ पल गर्म और ठंडा
जिंदगी भी तो सुख दुख मिजाज वाली,

बस कुछ रेत सी हैं जिंदगी ,,,,
बस इतना ही लिखना था,,,,,


धन्यवाद!
© miss thinker