...

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मैं सत्य हूं
दरबारों की गुलामी करूं, यह रीत निभा नहीं सकती।
मैं स्वयं अचेतन हूं, झूठी चेतना जगा नहीं सकती।
मत करो उम्मीद मुझसे महलों की कहानी लिखने की.....
मैं खड़ी कहने वाली हूं, सत्ता की बड़ाई गा नहीं सकती।।

© Eshita Ghosh
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