...

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सीमित
खुद को सीमित मत करना
और दुनिया से दूर ना रहना
वैसे तो है सीमित ज़िन्दगी हम सबकी
मगर मौके नहीं और रिश्ते भी नहीं

हार और अफ़सोस के लम्हे
तो हमेशा आते जाते हैं
फिर भी ना रुको कभी, चलते ही रहो
खुद पे और अपने रिश्तों पर भरोसा रखो

घूमती नहीं मोड़ सिर्फ एक तरफ ज़िन्दगी की
आते हैं जीत और खुशी की मोड़ भी
लेकिन ना रुक और कर सीमित खुद को
गिरे तो भी उठो और आगे बढ़ते रहो

© Krishnan
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