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लिखना पड़ता है
पुराना कुछ भूलने के लिए,
रोज़ कुछ नया, लिखना पड़ता है,
नज़र ना आए जाए बेचैनियां किसी को,
इसलिए कल से थोड़ा बेहतर, दिखना पड़ता है,
गलती से भी किसी को तकलीफ ना दें दे,
इसलिए कभी कभी बेवजह, झुकना पड़ता है,
दिल का बोझ जुबां पे ना आ जाए,
इसलिए रोज़ थोड़ा थोड़ा, घुटना पड़ता है,
जो चाह कर भी अपने ना हो सके,
उनकी याद में रोज़ थोड़ा थोड़ा, मिटना पड़ता है,
ये तन्हाईयां कहीं पसंद ना आने लगे,
इसलिए महफ़िल में जरूरत से ज्यादा, टिकना पड़ता है।
© rahulchopra1120
#Feelings #Love&love #friendship #rahulchopra1120
रोज़ कुछ नया, लिखना पड़ता है,
नज़र ना आए जाए बेचैनियां किसी को,
इसलिए कल से थोड़ा बेहतर, दिखना पड़ता है,
गलती से भी किसी को तकलीफ ना दें दे,
इसलिए कभी कभी बेवजह, झुकना पड़ता है,
दिल का बोझ जुबां पे ना आ जाए,
इसलिए रोज़ थोड़ा थोड़ा, घुटना पड़ता है,
जो चाह कर भी अपने ना हो सके,
उनकी याद में रोज़ थोड़ा थोड़ा, मिटना पड़ता है,
ये तन्हाईयां कहीं पसंद ना आने लगे,
इसलिए महफ़िल में जरूरत से ज्यादा, टिकना पड़ता है।
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