कल्पना...
ज़िंदगी में अक्सर अपनी कल्पना में हर रोज़
कभी किसी समय में, स्वयं को ही
हर बैचेन स्त्री तलाशती है
घर, प्रेम, सपने, खुईशो के साथ अपनी
अलग सी ऐसी ज़मीन
जो सिर्फ़ उसकी अपनी हो, सिर्फ अपनी
एक उन्मुक्त आकाश
जो किसी भी शब्द से परे हो
एक सुखद हाथ
जो हाथ नही
जिसमे रूह तक बस जाने का आभास हो..✍
jaswinder chahal
10/12/2023
© All Rights Reserved
कभी किसी समय में, स्वयं को ही
हर बैचेन स्त्री तलाशती है
घर, प्रेम, सपने, खुईशो के साथ अपनी
अलग सी ऐसी ज़मीन
जो सिर्फ़ उसकी अपनी हो, सिर्फ अपनी
एक उन्मुक्त आकाश
जो किसी भी शब्द से परे हो
एक सुखद हाथ
जो हाथ नही
जिसमे रूह तक बस जाने का आभास हो..✍
jaswinder chahal
10/12/2023
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