गुजरता वक़्त
गुजरते वक्त के साथ- गजरता हरदम नहीं अहसास
यदि कहीं मजदूर वो ठहरा तो फिर नहीं अवकाश
सुबह जो उठती आस संभलकर
सांझ तलक होती निराश...
यदि कहीं मजदूर वो ठहरा तो फिर नहीं अवकाश
सुबह जो उठती आस संभलकर
सांझ तलक होती निराश...