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खोईशहरकीशांति
#खोईशहरकीशांति
खाई शहर की शांति, भूखी आत्मा के लिए,
रोज़गार की तलाश में, चल पड़े रूह की यात्रा।
धूप में बेचैनी, छाया में रोशनी,
हर एक कदम पे नयी तलाश, खोज रही शांति।

मन के उलझे सवालों से भरा, है यह नगर बड़ा,
चाहे जितना भी हो, लेकिन नहीं मिलता चैन यहाँ।
गलियों में भटकते रहे, खोजते रहे अपना सपना,
पर शांति की कोई ख़बर नहीं, बस छिपी है यहाँ।

खाई शहर की शांति, दिल की गहराइयों में छुपी,
खोजते हुए हम, भटकते हैं रास्ते-भटकते।
पर संगीत है सिरहाना, शांति का आवाज़ है यहाँ,
जिसे पाकर नजरें झुकाए, मिलती है शांति की ख़ुशबू।