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खुद से तुम्हारा इजहार कर बैठे
आज फिर तुम्हारा खुद से इजहार कर बैठे
फिर आज एक बार तुझसे प्यार कर बैठे
कारण नहीं जानते तुझे इतना चाहने का
अकारण ही तुझे फिर प्यार कर बैठे
कोशिश बहुत करते है तुझसे दूर चले जाए
तेरी नजरों के हम कब के शिकार बैठे
किसी और को चाहने की बात छोड़ दो जनाब
हम तो खुद के ही गुंहेगार बैठे
नही पता हमें हमारा हश्र क्या होगा
हम तो बस अनजाने तुम पर हार बैठे
आज फिर तेरा खुद से इजहार कर बैठे ।
फिर आज एक बार तुझसे प्यार कर बैठे
कारण नहीं जानते तुझे इतना चाहने का
अकारण ही तुझे फिर प्यार कर बैठे
कोशिश बहुत करते है तुझसे दूर चले जाए
तेरी नजरों के हम कब के शिकार बैठे
किसी और को चाहने की बात छोड़ दो जनाब
हम तो खुद के ही गुंहेगार बैठे
नही पता हमें हमारा हश्र क्या होगा
हम तो बस अनजाने तुम पर हार बैठे
आज फिर तेरा खुद से इजहार कर बैठे ।
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