बिना बात का विरोध करते किसान
मति मारी, मार दिये खुद के लोग
लेकिन अब भी नही पता किस लिए है, सड़को पर विरोध
मंडी के गुलामी से इतना प्यार की
आज आजादी लग रही बेकार
चाहिए वही दिन तुम्हे जब
1kg का मिलता था 2 रुपये की मार
तब, सड़को पर अपना अनाज फेककर...
लेकिन अब भी नही पता किस लिए है, सड़को पर विरोध
मंडी के गुलामी से इतना प्यार की
आज आजादी लग रही बेकार
चाहिए वही दिन तुम्हे जब
1kg का मिलता था 2 रुपये की मार
तब, सड़को पर अपना अनाज फेककर...