चॉंद दोपहर का
न किसी शायर का ख़्वाब
ना है कोई महताब,
अक्स हूँ सुलगते आफताब का
मैं चॉंद हूँ, दोपहर का
न नज़्म की शय
न किस्सा ग़ज़ल का
यही हासिल मेरे फ़ज़ल का
मैं चॉंद हूँ, दोपहर का
न...
ना है कोई महताब,
अक्स हूँ सुलगते आफताब का
मैं चॉंद हूँ, दोपहर का
न नज़्म की शय
न किस्सा ग़ज़ल का
यही हासिल मेरे फ़ज़ल का
मैं चॉंद हूँ, दोपहर का
न...