tea
सुनो प्रेम...रोजाना
चाय से उठता धुंआ
उपर की और उड़ने लगता है,
तब चाय गटक ली जाती है सीने के पार
और उसके साथ
इक तेरा ख्याल...जो अंदर तक पहुंचता है
गर्म होते होते और एक हल्की सी धुप सा
तैरता रहता है मेरे जहन में,
जो रोज़ स्याह रात आँखों में उतर आता है
फिर ना ख़्वाब आता है ना नींद,
और तु उसी आँखों को भीगा देता है
और धीरे धीरे भीग जाता है...
चाय से उठता धुंआ
उपर की और उड़ने लगता है,
तब चाय गटक ली जाती है सीने के पार
और उसके साथ
इक तेरा ख्याल...जो अंदर तक पहुंचता है
गर्म होते होते और एक हल्की सी धुप सा
तैरता रहता है मेरे जहन में,
जो रोज़ स्याह रात आँखों में उतर आता है
फिर ना ख़्वाब आता है ना नींद,
और तु उसी आँखों को भीगा देता है
और धीरे धीरे भीग जाता है...