*साहिबजादे*
सुना रहा हूं किस्सा तुमको वीर बहादुर सच्चों का,
बलिदान हुए जो माटी पे उन छोटे छोटे बच्चों का,
महज वो 7 वर्ष और 5 वर्ष के छोटे छोटे बच्चे थे,
देख दृश्य रूह कांप उठे दम निकले अच्छे अच्छों का,
नौकर गंगू को था लालच, जो नमकहरामी कर बैठा,
थोड़ी दौलत के खातिर वो मुगलिया खबरी बन बैठा,
विश्वास पात्र गद्दार हुआ था जो ऐसा परिणाम हुआ,
साहिबजादों का साहस हिंदुत्व शिखर पर चढ़ बैठा,
वजीर खान...