अकेला
#YearEndEchoes
यहाँ अब कोई नहीं यहाँ अब अकेले ही चलना है
दरिया में बहकर पत्थरों के ऊपर ही तो चढ़ना है
क्यों किसी से उम्मीद रखकर ज़िंदगी में उलझु मैं
मौत को गले लगाकर हमे अकेले ही तो जलना है
~मानस अक्षर
© manasakshar
यहाँ अब कोई नहीं यहाँ अब अकेले ही चलना है
दरिया में बहकर पत्थरों के ऊपर ही तो चढ़ना है
क्यों किसी से उम्मीद रखकर ज़िंदगी में उलझु मैं
मौत को गले लगाकर हमे अकेले ही तो जलना है
~मानस अक्षर
© manasakshar