तिरस्कृत अंचल
सताए गये, रुलाये गये यहाँ तक कि ठुकराए गये,
कुछ नाकाम लोग थे, जो जमाने में गिनाए न गये।
ईश्वर का वरदान थे वो लोग आज हालात कुछ और थे,
उनसे अपमान के दर्द जहन से अपने भुलाए न गये।
होकर प्रेरित नाकामियों से अपनी, कुछ फैसले जो बताए न गये,
चले रचने इतिहास नया,राहत को साथी कुछ बुलाये नये।
ऐसा भी होता है जब सिर्फ...
कुछ नाकाम लोग थे, जो जमाने में गिनाए न गये।
ईश्वर का वरदान थे वो लोग आज हालात कुछ और थे,
उनसे अपमान के दर्द जहन से अपने भुलाए न गये।
होकर प्रेरित नाकामियों से अपनी, कुछ फैसले जो बताए न गये,
चले रचने इतिहास नया,राहत को साथी कुछ बुलाये नये।
ऐसा भी होता है जब सिर्फ...