...

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माफ़ करना !
चला रहा सिफारिश का ये धंधा तू,
देख खुदको ! बन गया कितना गंदा तु |
रुक रुक रुक जा, ये तो बस शुरूवात है,
मिलेगा फल तेरे कर्मो का, किए जितने पाप हैं।
मिटाएगा तु कैसे, ज़मीर पे लगा तेरे दाग है,
बुझाएगा तु कैसे, सदियों से लगी ये आग है|
अमीर बन रहा और अमीर , गरीब बन गया और गरीब,
उठाया तेरा ही कचरा , और मुझी से कहते हो है ये...