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बिखर
#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
बिखर जायेगा ना धरती पर बे।

खुद को समेट, जिंदगी को नियंत्रित कर,
बिखर जायेगा ना चाहत की लहर से;
अपनी नज़रों में आइना बसा ले,
बिखर जायेगा ना इश्क़ पर वार के।

काँटों से जो अधरा बना ले,
बिखर जायेगा ना फूलों की बारिश;
गहरी नींव पर खड़ा कर दिल का मकान,
बिखर जायेगा ना तूफ़ान की बुलंदी।

घटा की छाया में दिल को ठंडक मिले,
बिखर जायेगा ना सूरज की गर्मी;
अपनी दुलहन को सपनों में सजा ले,
बिखर जायेगा ना नया सवेरा उजला।

समय की धारा में अँधेरा न छोड़ा,
बिखर जायेगा ना अमृत की धारा;
अपनी क़िस्मत को मिला ले अधिग,
बिखर जायेगा ना वक़्त की बादशाही।
© shreyasirhittika