...

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सपने
एक सपना है मेरा
जिसे पाने कि चाह मे
आगे मै बढती रही ।
कुछ कदम ही आगे बढाये थे कि
ना जाने कहाँ से मुश्किल आ खङी हुई।
लगी सोचने मै यह अब क्या करू ?
लौट जाऊ या बढती रहु।
कसम्कस की भवँर मे,
मानो मै...