...

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सपने
एक सपना है मेरा
जिसे पाने कि चाह मे
आगे मै बढती रही ।
कुछ कदम ही आगे बढाये थे कि
ना जाने कहाँ से मुश्किल आ खङी हुई।
लगी सोचने मै यह अब क्या करू ?
लौट जाऊ या बढती रहु।
कसम्कस की भवँर मे,
मानो मै डूबने लगी ।
अपनो ने भी साथ छोङ दिया
यह देख मेरे इरादो ने भी दम तोङ दिया।
गिराने की बहुत कोशिश की दुनिया ने ,
पर मैने खुद को सभाँल लिया ।
अन्तरमन से एक आवाज आई,
ना रुके तेरे एक भी कदम,
तुझे तो तेरी मंजिल पाना है।
साथ ना रहे किसी का ,तो कोई गम नहीं ।
तुझे तेरे सपनो को साकार करके दिखाना है।