...

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प्रतीक्षा

क्षितिज ठिठोली करके गई
विटप - विटप फैली मधुराई
झनक झांझरी पतझड़ भी
चितवत हंसि - हंसि बौराई।।

जोग लगा कहे ,जोग की भांति
तू फिरत रहे,जोगन की रीति
हृदय की गति, काहि सुनाऊं
अंखियन अश्रु किसे दिखाऊं
कब तक आस के दीप जलाए
आओ...