बदलते वक्त के हालात
वक्त ने कितना कुछ बदल दिया है
जो हस्ते और हसाते रहते थे
आज बातें बड़ी करने लगे
हसीं से क्युं मुह मोड़ लिए?
वक्त ने कितना कुछ बदल दिया है
शाम के सुर्यस्थ के समय
संगीत की गूंज घरों से आती थी
वो संगीत कीर्तन की प्रथा क्युं मीट रही?
वक़्त ने कितना कुछ बदल दिया है
रोजगार की भरपाई करने मे जुटा इंसान
रात को जाग और दिन मे सोह रहा है
क्युं सेहथ को चुनौती दे रहा है?
जो हस्ते और हसाते रहते थे
आज बातें बड़ी करने लगे
हसीं से क्युं मुह मोड़ लिए?
वक्त ने कितना कुछ बदल दिया है
शाम के सुर्यस्थ के समय
संगीत की गूंज घरों से आती थी
वो संगीत कीर्तन की प्रथा क्युं मीट रही?
वक़्त ने कितना कुछ बदल दिया है
रोजगार की भरपाई करने मे जुटा इंसान
रात को जाग और दिन मे सोह रहा है
क्युं सेहथ को चुनौती दे रहा है?