भूलोगे ख़ैर-ओ-ख़बर धीरे-धीरे
तुम पर भी होगा मोहब्बत का असर धीरे-धीरे
भूलोगे तुम भी अपनी ख़ैर-ओ-ख़बर धीरे-धीरे।
इब्तिदा-ए-इश्क़ में बहुत ख़ुश नज़र आते हो
हिज़्र-ए-बेचैनी भुगतोगे तुम भी सहर धीरे-धीरे।
मुसलसल मुलाकातें, बातें,...
भूलोगे तुम भी अपनी ख़ैर-ओ-ख़बर धीरे-धीरे।
इब्तिदा-ए-इश्क़ में बहुत ख़ुश नज़र आते हो
हिज़्र-ए-बेचैनी भुगतोगे तुम भी सहर धीरे-धीरे।
मुसलसल मुलाकातें, बातें,...