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अहसास
ये अहसास अब ठीक से वसर करने नही देते
दूरियो का सफर भी मुकम्मल तय करने नही देते
!
ता उम्र गुजारी है मुफलिसी में
अब ये कमवख्त
मुफलिसी में भी चैन से जीने नही देते !
न हासिल हो
मंजिले
तो न सही
राह में काँटे हों
पर दीवार न सही !...
हम जमी पर
और तुम सितारो में सही ! ...
मिलना मयस्सर न हो
तो न ...सही...
वस दूरियाँ इतनी हों
कि लगे हम चले ही ...नहीं...
कि शायद कभी हम
मिले ही नहीं .…
कि शायद कभी हम
मिले ही नहीं...
© रविन्द्र "समय"
दूरियो का सफर भी मुकम्मल तय करने नही देते
!
ता उम्र गुजारी है मुफलिसी में
अब ये कमवख्त
मुफलिसी में भी चैन से जीने नही देते !
न हासिल हो
मंजिले
तो न सही
राह में काँटे हों
पर दीवार न सही !...
हम जमी पर
और तुम सितारो में सही ! ...
मिलना मयस्सर न हो
तो न ...सही...
वस दूरियाँ इतनी हों
कि लगे हम चले ही ...नहीं...
कि शायद कभी हम
मिले ही नहीं .…
कि शायद कभी हम
मिले ही नहीं...
© रविन्द्र "समय"
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