...

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मां
शीर्षक- माँ
विधा-- हाइकू

वाणी अमृत सी
चिर स्नेह की मूर्ति
प्रेम की आधार,

जगत पिता
बंध जाता तत्क्षण
बोलते बात ।

स्नेह मयी ओ
अकथनीय दया
कोमल हृदय,

मन जल सा
गोदी पलंग सी
शिशु के लिए।

अविरल है
निश्छल भावना भी
अंश खातिर,

मनमोहक है
जिसकी प्यारी पात
कहता शिशु।

खुश हो जाती
बोलता तुतलाकर
मां, बेटा है जब,

देती सदा है
प्रेम निस्वार्थ, मांगा
भी कुछ कहो कब? ।।।

लेखक-- अरुण कुमार शुक्ल
सिद्धार्थ नगर (यू पी)
© अरुण कुमार शुक्ल