इब्तिदा-ऐ-इश्क़!
कहते हैं इजाज़त लेकर वो उनसे बात करते हैं,
कुछ इस तरह से वो दिन की शुरूआत करते हैं!
सैकड़ों खामियाँ हों उसमें उसे मन्ज़ूर हैं वो सब,
इस मुलाक़ाती वसीले पर वो अब भी नाज़ करते हैं!
कहाँ...
कुछ इस तरह से वो दिन की शुरूआत करते हैं!
सैकड़ों खामियाँ हों उसमें उसे मन्ज़ूर हैं वो सब,
इस मुलाक़ाती वसीले पर वो अब भी नाज़ करते हैं!
कहाँ...