...

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मेरा बचपना है की मारता ही नहीं
दुनिया का ये रंग मुझपर चढ़ता ही नहीं,
मेरे अंदर का बच्चा मरता ही नहीं।।

इस तरह भरी हुई है मासूमियत मुझमें,
दुनिया कितना भी ठग ले फर्क पड़ता ही नहीं।।

जिंदगी जीने में इतना व्यस्त हूं मैं,
कल की चिंताओं से साला ये मन डरता ही नहीं।।

तकलीफ होती है तो दहाड़े मारकर रोता हूं,
तन्हाई का पता नहीं हां अकेला होता हूं तो खूब सोता हूं,
दुनिया की...