...

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ये कड़वा मीठा है
बातें बड़ी हैं,
और मतलब छोटे,
वो पाक जिस्म से है,
और नियत से खोटे,
महिन बताते हैं वो,
अपने तारिफ़ो की आंधी,
है दरदरे कितनी उनके निंदो में,
जिससे वो,
रातो में भी नहीं सोते,
कहते हैं,
वो लब्ज नहीं खोलते,
वो आँखों से,
कितने कपडे उतार जाते हैं,
ये किसी को नहीं बोलते,
हाथों को तहरीक उनकी मासूम है,
वो अपनी जुल्फो से,
मैला दिखाते हैं,
कोई देख सुन,
कह नहीं सकता उन्हें अभद्र,
सबके जाने बाद,
अपनी अख़रत सांसे आराम फरमाते हैं,
एक तजुर्बा है उनका भी,
अपनी फौज बनाने का,
वो चुप्पी साधे,
सबके मजे उड़ाते हैं,
कहते हैं,
वो वाचल कम हैं,
और उनका समानार्थी हराम.....
© --Amrita