मदारी
🌹राह में आते है मेरे जितने भी पड़ाव
पूछते हैं मुझसे अपनी मंजिल तो बताओ
खड़े फिर एक नए मोड़ पर हम हैं यहां
बोलो अब आगे तुम्हे और जाना है कहां
उलझ गया है यूं हर धागा एक दूजे से
वक्त लगेगा मुझे अभी सुलझाने में
ये किसके कहने पर यहां पर्दा उठता और गिरता है
ये किसके इशारे से तमाशाई, तमाशा बनता हैं
हम कठपुतली बने जिसके इशारों पर नाच रहे
कौन है वो जिसने है हमारे डोर धरे
वो कौन है जिसने लिखी है हमारी कथा
वो कौन है जो नियति...
पूछते हैं मुझसे अपनी मंजिल तो बताओ
खड़े फिर एक नए मोड़ पर हम हैं यहां
बोलो अब आगे तुम्हे और जाना है कहां
उलझ गया है यूं हर धागा एक दूजे से
वक्त लगेगा मुझे अभी सुलझाने में
ये किसके कहने पर यहां पर्दा उठता और गिरता है
ये किसके इशारे से तमाशाई, तमाशा बनता हैं
हम कठपुतली बने जिसके इशारों पर नाच रहे
कौन है वो जिसने है हमारे डोर धरे
वो कौन है जिसने लिखी है हमारी कथा
वो कौन है जो नियति...