ग़ज़ल-2
कहते हैं मज़हबियत खतरें में हैं,
वास्तव में इंसानियत खतरें में हैं।
हम उनके लिए लड़तें...
वास्तव में इंसानियत खतरें में हैं।
हम उनके लिए लड़तें...