...

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प्रभात को खिलना पड़ेगा
हो तिमिर कितना भी गहरा
रात का हो लंबा पहरा
सूर्य को उगना पड़ेगा
प्रभात को खिलना पड़ेगा!!

चाहे बादलों का शोर हो
घटाएं घनघोर हों
अंधेरा चहुंओर हो
डरें नहीं, रुकें नहीं
साहसी कदमों को तेरे आगे बढ़ना होगा..
सूर्य को उगना पड़ेगा
प्रभात को खिलना पड़ेगा!!


देखा मैंने चींटी को
लाख बार गिरे उठे
पर मंजिलों को पाने का हौंसला नहीं थके
कदम बढ़े , नहीं थमे
चाहे तूफानों के दौर से गुजरना होगा...
सूर्य को उगना पड़ेगा
प्रभात को खिलना पड़ेगा!!

अंजना जैन
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