क्यूँ
अँधेरे से
मे लड रहा क्यूँ
यूँ धूट धूट कर
मर रहा क्यूँ
धूप ने सताया
छाँव निकाला
उस तरुवर को जाने सिंच रहा क्यूँ
मुग्ध किया नहीं
क्षुब्ध रखे सदा...
मे लड रहा क्यूँ
यूँ धूट धूट कर
मर रहा क्यूँ
धूप ने सताया
छाँव निकाला
उस तरुवर को जाने सिंच रहा क्यूँ
मुग्ध किया नहीं
क्षुब्ध रखे सदा...