...

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ग़ज़ल
मुद्दतों जिसको भुलाने की क़सम खाता रहा
वो हमेशा इक नई शिद्दत से याद आता रहा

जिसकी टकराहट की चिंगारी से सब कुछ जल गया
ज़िंदगी भर मैं उसी पत्थर को पिघलाता रहा

ये ...