...

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नेता नकली जनता फर्जी
एक तो लोग नकली है ,
ऊपर से ये नकाब भी नकली ही लिया है ,
भीख मांगते फिरते है ,
पर लिबास नेता का पहन लिया है।
नकाब इन्होंने एक जैसा लगाया है ,
या फिर हमें एक जैसा दिख रहा है ।
जो खरीद सकता है सत्ता को ,
वो सत्ता के हाथो बिक रहा है ।
supporter था सच का ,
झूटो की लाइन मैं दिख रहा है ।
आज हर सख्श बिक रहा है ,
ऐसे ही थोड़ी वो गुलाबी नोट जो दिख रहा है ।
देख पा रहा है साफ साफ ,
पर खुद ही आंखों के आगे कोहरा कर रहा है ।
साहब जीत तो नेता रहे है ,
लेकिन जनता पागल है जो मोहरा बन रहा है ।



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