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उलझने बहुत है रास्ते में ....😊
उलझने बहुत है रास्ते में
तो क्या हुआ...
चलना तो नही छोड़ सकते हैं,
ये सब मिलकर हमें मज़बूत बनने आती है इनसे मुह भी तो नही मोड़ सकते हैं,
क्यों न,इनके साथ चल जाए
इनके कदमों को अपने कदमों की रफ्तार
बढ़ा कर हराया जाए,
ये हर दिन अलग-अलग रूप में आएगी
क्यों न,इनके रूप से कुछ सीख लेकर
खुद को सवारा जाए ,
© उलझन😊
तो क्या हुआ...
चलना तो नही छोड़ सकते हैं,
ये सब मिलकर हमें मज़बूत बनने आती है इनसे मुह भी तो नही मोड़ सकते हैं,
क्यों न,इनके साथ चल जाए
इनके कदमों को अपने कदमों की रफ्तार
बढ़ा कर हराया जाए,
ये हर दिन अलग-अलग रूप में आएगी
क्यों न,इनके रूप से कुछ सीख लेकर
खुद को सवारा जाए ,
© उलझन😊
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