चिट्ठी
*खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे, “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे...!!*
*“और बीच में लिखी होती थी “जिंदगी”*
*नन्हें के आने की “खबर”*
*“माँ” की तबियत का दर्द*
*और पैसे भेजने का “अनुनय”*
*“फसलों” के खराब होने की वजह...!!*
*कितना कुछ सिमट जाता था एक*
*“नीले से कागज में”...*
*जिसे नवयौवना भाग कर “सीने” से...
*“और बीच में लिखी होती थी “जिंदगी”*
*नन्हें के आने की “खबर”*
*“माँ” की तबियत का दर्द*
*और पैसे भेजने का “अनुनय”*
*“फसलों” के खराब होने की वजह...!!*
*कितना कुछ सिमट जाता था एक*
*“नीले से कागज में”...*
*जिसे नवयौवना भाग कर “सीने” से...