...

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देखो , कैसा हूं मैं
मेरी आहत देख ली होगी
मेरा खौंफ तो आता होगा
देख कर मुझे लगता है ना
ये तो जिस्म ही खाता होगा

मैं तो हां गरुर करता हूं
मेरे गलत इरादो पर
लेकिन हां थू करता हूं
तेरे कसमों वादों पर

मुझमें नही है शर्म हया ,मेरा खून भी काला है
तुम तो हो क्या मैने तो मेरा भी कत्ल कर डाला है

तेरा मेरा मेल क्या है
तू बसा ले घर , बर्बादी हूं
तेरे शहर में , आग लगी है
मैं ही तो फसादी हूं

कितने सांप कितने बिच्छू
मर गए है मेरे विषपान से
अब तो जहर ही जहर उगलेगा
"दीप" अपनी जुबान से


© दीप