अगर वक्त मिले
अगर कभी वक्त मिले
तो बैठना मेरे सिरहाने
मिल कर दोहराएंगे हम
वो भूले बिसरे हुए तराने
वो बचपन के खेल अनूठे
वो अल्हड़ उम्र के ख्वाब
वो वक्त की दहलीज पर मिली...
तो बैठना मेरे सिरहाने
मिल कर दोहराएंगे हम
वो भूले बिसरे हुए तराने
वो बचपन के खेल अनूठे
वो अल्हड़ उम्र के ख्वाब
वो वक्त की दहलीज पर मिली...